सबकी सदाऐँ मुकाम तक.
कँहा पहुँच पाती हैं,
बावजूद हजार कोशिश,
गूँज बनके लौट आती हैं।
नसीब सबके जुदा होते हैं,
क्या जरूरी ,सबके ख्वाब,
पूरे होते हैं।
बार बार इल्तिजा का असर.
बेअसर होता है,
पत्थर दिल से प्यार,
बस भरम होता है।
प्यार, मोहब्बत, दरदे लफज,
बेमानी होते हैं,
तलख लफ्जों से ,जब,
सारोकार होता है।
मैं समझा लेता हूँ दिल को
इस तरह,
ये बातें आम हैं,
क्यूँ जार जार रोता है।
आस कर कि वक्त ऐसा भी ,
आता है,
तिनका देके सहारा,
डूबने से बचाता है।
दिन बदल जाते हैं,
कुछ इस तरह,
कि पतझड़ बहार,
बन जाता है।
उम्मीदे दामन न छोड़,
कायम रख भरोसा,
कि उजड़ा चमन भी कभी,
गुलजार बन जाता है।